Evidence Act Eye witness (प्रत्यक्षदर्शी साक्षी)
Eye witness
(प्रत्यक्षदर्शी साक्षी)
1. धारा 302, साक्ष्य अधिनियम, 1872. धारा 3 - साक्षी की विश्वसनीयता मृतक स्कूटर पर पीछे बैठकर प्रत्यक्षदर्शी साक्षी के साथ जा रहा था, स्कूटर रोकने के बाद मृतक पर चाकू से हमला किया गया - प्रत्यक्षदर्शी साक्षी का मृतक के परिवार के सदस्यों को घटना के बारे में सूचित न करना और घटना के तुरन्त बाद घटनास्थल से भागने का आचरण अस्वाभाविक नही, क्योंकि कोई भी खड़े रहने का साहस नहीं करेगा चूंकि यह साक्षी दुविधाग्रस्त हो गया, इसलिए वह अन्य साक्षियों को नही देख सका - साक्षी विश्वसनीय । म.प्र. राज्य वि. हबीब अहमद, आई.एल.आर. (2009) एम.पी.3187 (DB)
2. धारा 302 - हत्या - साक्षी - साक्षियों ने न्यायालयीन साक्ष्य में कथन किया कि गोली 3-4 फीट की दूरी से मारी गई - शव परीक्षण रिपोर्ट दर्शाती है कि गोली निकट से मारी गई - तथापि घटना स्थल का नक्शा दर्शाता है कि गोली लगभग 20 फीट की दूरी से मारी गई - एफआईआर या प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों के धारा 161 के कथनों में निकट गोली चलाना नहीं पाया गया - घटना के समय साक्षियों की उपस्थिति अत्यंत शंकास्पद। छविलाल वि. म.प्र. राज्य, आई.एल.आर (2009) एम.पी. 536 (DB)
3. धारा 302 - प्रत्यक्षदर्शी साक्षी, जो मृतक का पुत्र है, घटनास्थल पर उपस्थित था और अपीलार्थी द्वारा उसके माता-पिता पर घातक हमला करने की घटना का साक्षी था - उसके द्वारा दर्ज कराई गई एफ.आई.आर. से सम्पुष्टि हुई और साक्षियों के अभिसाक्ष्य से भी पुष्टि हुई जिन्हें घटना के तत्काल बाद घटना बतायी गई इसका कोई कारण नही कि वह दो बार अपीलार्थी के विरुद्ध बयान देवे – यह कारण भी मानने योग्य नही है कि अपीलार्थी जो कि सगा चाचा है उसे वह मामले में झूठा फसायेगा - साक्षी पर केवल इस आधार पर अविश्वास नही किया जा सकता है कि उसे अभियोजन ने पक्षद्रोही घोषित किया - धारा 302 के अन्तर्गत दोषसिद्धि और दण्डादेश की पुष्टि - अपील खारिज। रामसिया वि. म.प्र. राज्य, आई.एल.आर. (2008) एमपी 3010 (DB)
4. धारा 302 हत्या अपीलार्थियों ने मृतक पर घातक आयुध से हमला किया प्रत्यक्षदर्शी साक्षी के साक्ष्य की न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट द्वारा पुष्टि की गई चिकित्सक की रिपोर्ट में अपीलार्थियों को हमलावर के रूप में नही दर्शाया गया अभिनिर्धारित चिकित्सक का प्राथमिक कार्य मरीज का इलाज करना है न कि यह पता लगाना कि क्षतियाँ किसके द्वारा कारित की गई चिकित्सकों को नाम प्रकट न करने का कोई परिणाम नहीं है दोषसिद्धि और दण्डादेश की पुष्टि अपील खारिज। अशोक वि. म.प्र. राज्य, आई.एल.आर (2006) एम.पी. 2997 (DB)
5. धाराएँ 302, 149 हत्या मृतक द्वारा उंची आवाज में चिल्लाना सुनकर, उसकी पत्नी घटना स्थल पर पहुंची तो पाया कि अपीलार्थी मृतक पर हमला कर रहे थे अपीलार्थी क्र. 1 व 2 ने मृतक का गला घोट दिया एवं शेष अपीलार्थी उसके हाथ व पैर बाँध कर पकड़े हुये थे अन्य साक्षी भी उक्त स्थान पर पहुंच गये प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरंत लिखवाई गई मृतक की मृत्यु गला घोंटने से हुई अपीलार्थियों के घटना में अर्न्तग्रस्त होने के तथ्य को विवादित करते हेतु परिवाद पेश की थी अभिनिर्धारित शीघ्र प्रथम सूचना रिपोर्ट व प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों के बयानों की अनुरूपता पर विचार करते हुए अपीलार्थीगण हत्या कारित करने के दोषी अपील खारिज नर सिंह वि. म.प्र राज्य, आई. एल.आर. (2008) एम.पी. 1225 (DB)
6. धाराएँ 302/149, 148, 147 अपीलार्थी दीवान सिंह भा.द.सं. की धाराएँ 302 / 149 व 148 के अन्तर्गत दोषसिद्ध और शेष अपीलार्थीगण भा.द.स. की धाराएँ 302 / 149 147 के अन्तर्गत दोषसिद्ध दोषसिद्धि को अपील में चुनौती अभिनिर्धारित अभियोजन दो विरोधाभाषी कहानियों के साथ आया है मृत्युकालिक कथन के आधार पर और दूसरा प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य के आधार पर मृत्युकालिक कथन नायब तहसीलदार द्वारा चिकित्सक के प्रमाण पत्र पर अभिलिखित किया प्रत्यक्षदर्शी साक्षी के विवरण की तुलना में मृत्युकालिक कथन अधिक विश्वसनीय है इस आलोक में कि देहाती नालिशी यथासमय अभिलिखित नहीं की गई और यह एक पश्वाद्विचार दस्तावेज है और इसका कोई प्रमाण नहीं है कि धारा 157 द.प्र.सं. की अपेक्षानुसार उसे तुरन्त न्यायालय को अग्रेषित किया गया प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों का साक्ष्य विश्वसनीय नहीं है क्योंकि उसे चिकित्सकीय साक्ष्य का समर्थन नहीं है इसलिये प्रत्यक्षदर्शी साक्षी का विवरण तैयार कराया गया (cooked up) अभियोजन आरोपों को युक्तियुक्त शंका से परे सिद्ध करने में असफल रहा न्यायालय ने अपलायन को दोषमुक्त किया | गंगा प्रसाद विरूद्ध म.प्र राज्य, आई. एल.आर. एमपी 1774(D)
7. धाराएँ 302 व 307 पत्नी और पुत्री की हत्या और 2 पुत्रियों की हत्या दो क्षतिग्रस्त पुत्रियों की चिकित्सीय साक्ष्य व अन्य समय से समर्पित अभियुक्त की उपस्थिति को चुनौती नहीं दी गयी और अभियुक्त का स्पष्टीकरण कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने पीडित को क्षतियों कारित की सही नहीं पाया गया अभिनिर्धारित अपराध साबित होता है। इन रेफरेन्स वि मोहम्मद शफीक उर्फ मुन्ना उर्फ शफी आई एलआर (2010) एम.पी 2405 (DB)

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