Criminal Procedure Code 1973 156(3),190,197,200,204397,399 and 482
दण्ड प्रक्रिया संहिता , 1973 - धाराएं 156 (3), 190, 197, 200, 204, 397, 399 एवं 482 1. धारा 156 (3) के अंतर्गत अनुसंधान हेतु भेजना - अभिप्राय है – a. कि प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट संतुष्ट नहीं था कि परिवाद उस मामले में किसी संज्ञेय अपराध या अन्य अपराध कारित किया जाना प्रकट करता है ; b. जहां प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट संतुष्ट था कि परिवाद के अभिकथन यद्यपि अभियुक्त व्यक्तियों के विरूद्ध प्रथम दृष्टया मामला गठित करते हैं परंतु ‘अधिक सावधानी’ परिवाद में आरोपित अभिकथनों की सत्यता सुनिश्चित करने की अपेक्षा करती है ; और c. प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट का यह मत है कि अभिकथनों की सत्यता के आकलन हेतु उस मामले में दक्ष एवं निष्पक्ष अनुसंधान अभिकरण यथा पुलिस द्वारा अनुसंधान वांछनीय है। 2. संज्ञान - पश्च अनुसंधान - इस प्रभाव का अंतिम प्रतिवेदन कि कोई अपराध गठित नहीं होता है - अभिकथन सिविल दायित्व प्रकट करते हैं – मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस प्रतिवेदन के विरूद्ध संज्ञान लेने हेतु आबद्धकर परिस्थितियों...